पुनर्जागरण का 'नेहटौर कैंप'

'दोस्ती के 25 साल... और परिवार बढ़ता गया' -IV 


दिल्ली से करीब 140 किलोमीटर दूर, यूपी के बिजनौर जिले में मौजूद है एक छोटा सा कस्बा नेहटौर, किसी भी अहम पड़ाव को मनाने के लिए इससे बेहतरीन जगह और कोई नहीं हो सकती, शायद हम दोस्तों को भी इस बात का अंदाजा नहीं था, लेकिन नेहटौर की ज़मीन में खेलकर बड़े हुए हमारे दोस्त मोहसिन ज़ैदी ने हमारी

दोस्ती की 25वीं सारगिरह को यादगार और सरोकारों से जोड़ने के लिए, हमारे ही लगातार प्रयोगों को, हमारे ही सामने रख दिया, हमें खुद नहीं पता था कि हम अपना ये उत्सव किस तरह मनाएंगे, उत्साह भरपूर था, जोश-खरोश भी सातवें आसमान पर था, बस उसे शेप किस तरह से दिया जाए... इसका किसी को पता नहीं था, उसी शेप को देने का काम मोहसिन ने किया, मेरे लिए नेहटौर कैंप के जरिए, खुद को जानने का बड़ा ही बेहतरीन मौका था, कुछ घंटों में हमने अपने लिए इतना ढेर सारा प्यार पाया, जिसके 



बाद मैं खुद सोचने लगा (अपने दोस्तों के साथ) कि आखिर हम इसके हक़दार भी या नहीं, फिर जो हमारे सामने नतीजा आया, या हम जिस नतीजे पर पहुंचे, वो यही है कि मोहसिन ज़ैदी इसका असली हक़दार है, भारत जैसा देश मोहसिन के हाथ में सुरक्षित है, निश्चित, यकीनन सुरक्षित है, हमें अभी बहुत कुछ सीखना है- मोहसिन जैसे मेरे प्यारे भाइयों से...


नेहटौर NSS कैंप हमें बहुत कुछ दे गया, नेहटौर हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा, और मैं इस बात से यकीनन आश्वस्त हूं कि देश के सद्भाव को प्यार का जो गहरा रंग जो दे सकती है, वो मोहसिन जैसी शख्सियत ही दे सकती है, शंभु जैसी शख्सियतों को अभी मीलों का सफर तय करना बाक़ी है...
इसका भी बड़ा ही सुंदर जवाब मोहसिन ने दिया, मेरे दोस्तों ने भी मेरी बात पर मोहर लगाई, शुक्रिया मेरे प्यारे दोस्तों, शेखर भाई, राम भाई- निश्चित राम तो बहुत ही प्यारा है, मैंने राम से बहुत बहस की है...

शेखर भाई ने मेरी बातों को सही ढंग से रखा, राम ने उसे उसी शिद्दत और भावना से आगे बढ़ाया...

मोहसिन को जितना जानों उतना कम लगता है, नेहटौर में मोहसिन ने जिन-जिन बातों का पहली बार खुलासा किया, उसने तो मेरा सिर दोस्ती के इस सिल्वर जुबली साल में और ऊंचा उठा दिया है, गर्व से भर दिया है, कितने बेहतरीन दोस्तों का साथ, हमारे साथ है... इससे तो किसी को भी जलन हो सकती है... मैंने जो लिखा उसके जवाब में मोहसिन जो लिखा, वो मोहसिन के बड़प्पन को ही दिखाता है... मोहसिन- राजेश भाई के बारे में इतना कुछ  एक ही सांस में बताता चला गया, वाकई में बहुत सारी बातें हमें भी नहीं पता थीं, इतने सारे पहलू राजेश जी की शख्सियत के बारे में जानने को मिले, मैं आपको बता नहीं सकता कि हमारा सीना कितना फूल गया, आंखे हमारी भी डबडबा गईं, क्या किसी को एक ही जन्म में इतने सारे प्यारे और बेहतरीन दोस्त मिल सकते हैं क्या, संभवतः नहीं...
दोस्ती की सिल्वर जुबली मनाने के लिए दिल्ली से हम 7 दोस्तों को नेहटौर के लिए एक साथ निकलना था, सब कुछ पहले से तय, सभी के दिलों में
बराबर आग लगी हुई थी, दोस्तों के बीच इस बात को लेकर बहस भी हुई कि कौन जाएगा, कौन नहीं जाएगा... नेहटौर कैंप के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, गिरि, राजेश, शेखर, जया शंभु और सिम्मी भाभी  ठीक एक सप्ताह पहले तैयारियों को आखिरी टच देने के लिए मिले, बैनर के लिए टैग लाइन को जया ने फाइनल किया, कुछ सुझाव फहीम और अब्दुल हामिद की तरफ से फेसबुक पर आए, टी-शर्ट और कैप के डिजाइन को फाइनल किया गया, सभी कुछ तय कार्यक्रम के मुताबिक चल रहा था....

इसी बीच सबके प्यारे दोस्त गिरि ने सूचना दी कि वो अब नेहटौर नहीं जा सकता, उसे ऑफिस के काम से भोपाल जाना पड़ रहा है,  फिर क्या था... मैं सबसे ज्यादा मायूस हो गया, नेहटौर जाने के लिए मन डावांडोल होने लगा, मन में ये भी विचार आया कि छोड़ो क्या जाना... 
इस बीच हमारे बड़े भाई और दोस्त शेखर भाई ने कहा कि हम भी तो तुम्हारे दोस्त हैं, फिर मन को समझा
 लिया, 2 अप्रैल की देर शाम तक गिरि की तरफ से ये सूचना आती है कि वो भी चल रहा है, भोपाल से सीधे ही नेहटौर पहुंच जाएगा, किसी तरह जुगाड़ वगैरह करके गिरि सुबह दिल्ली पहुंच गया, क्योंकि दोस्ती की 25वीं सालगिरह मनाने की आग उसके दिल में महीनों से जल रही थी...  
हमारा कार्यक्रम था 3 अप्रैल को लैंसडाउन जाने का, एक रात वहीं बितानी थी, अगले दिन नेहटौर के लिए रवाना होना था, इसी बीच एक और दीवाना दोस्त किशोर कुमार, जिसका जाना बिल्कुल भी तय नहीं था, उसके दिल में भी 25वीं सालगिरह मनाने की आग जली हुई थी, किशोर ने भी 4 अप्रैल को नेहटौर जाने की ट्रेन की टिकट कटा ली, हमें लैंसडाउन से नेहटौर पहुंचना था, किशोर को दिल्ली से नेहटौर पहुंचना था... 

नेहटौर में कैंप लगा था 2 से 5 अप्रैल तक, हमें 4 अप्रैल को शामिल होना था और हम 4 अप्रैल को ही शामिल हुए, हालांकि किशोर कुमार हमसे 3 घंटे पहले ही नेहटौर पहुंच चुका था, जैसे ही हम दोस्त, हमारे दोस्त कपिल कपूर की स्कॉर्पियो में नेहटौर पहुंचे, हमारा स्वागत हमारे हरदिल अजीज मोहसिन ने किया, 
हम सभी दोस्तों ने सिल्वर जुबली मनाने के लिए एक स्पेशल टी-शर्ट पहनी हुई थी, मोहसिन को भी हमने उसी रंग में रंग लिया... फिर सीधे नेहटौर कैंप पहुंच गए...NSS कैंप में पहुंचते ही हमारा जोरदार स्वागत किया गया, कमाल का स्वागत था, हमें भी लगा किसी खास मौके को मनाने का इससे बेहतर तरीका कोई नहीं हो सकता, दोस्ती और बेहतरीन विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने और दोस्ती की सिल्वर जुबली मनाने के लिए इससे बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता, हम दोस्तों ने गांव के बच्चों के बीच में अपनी दोस्ती की सिल्वर जुबली मनाई, बच्चों ने भी बिना किसी संकोच के अपनी बात हमारे सामने रखी, अपने सपने हमसे सांझा किए, कैसे सपनों का पीछा किया जाता है, हमसे जानना चाहा, नेहटौर के बच्चे कितना कुछ जान लेना चाहते थे...
पहली बार किसी जगह एक साथ इतने बच्चे ऐसे दिखे जिन्हें- गणित (mathematics) जैसे विषय में रुचि थी... मन को बहुत ही अच्छा लगा, हम नेहटौर के बच्चों में खुद को ही देख रहे थे... कितना अच्छा हो कि हम इन बच्चों को अपने तजुर्बे का बड़ा हिस्सा उपलब्ध करा सकें...











Comments

  1. such mere yaar hai bus yahi pyar hai, dost kisi ka na bichde yahi dua har baar hai.......

    mast hai shambhu bhai

    ReplyDelete
  2. धन्यवाद हरिओम

    ReplyDelete
  3. शानदार ज़बरदस्त ...

    ReplyDelete
  4. धन्यवाद चेतन चौहान

    ReplyDelete
  5. शुक्रिया मुशाहिद भाई

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मातृ भाषा में हो न्याय

सापेक्षता का सिद्धांत (Relativity )

खूनी भंडारा...अमृत की टपकती बूंदे